Nature and science
विज्ञान भौतिक दुनिया का अध्ययन है और यह व्यवस्थित अवलोकन और प्रयोग का उपयोग करके प्रकट होता है। दूसरी ओर प्रकृति, वास्तविक भौतिक व पराभौतिक दुनिया है, जिसमें सभी प्राकृतिक घटनाएं और जीवित चीजें शामिल हैं। दोनों नियमों से बने होते हैं। किन्तु यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि प्राकृतिक नियमों को जानने का नाम ही विज्ञान है।जिन्हें अवधारणा की शासी गतिशीलता में निहित किया जा सकता है। भौतिक विज्ञान के नियम ऐसे नियम हैं जिन्हें सार्वभौमिक रूप से लागू माना जाता है। पर प्रकृति के नियम भौतिक विज्ञान की बुनियादी सैद्धांतिक संरचना का निर्माण करते हैं, इसलिए वैज्ञानिक समुदाय द्वारा किसी कानून की अस्वीकृति एक अत्यंत दुर्लभ घटना है। मौके पर एक कानून को संशोधित किया जा सकता है। फिर भी इस तरह के संशोधन मूल विचार और संरचना में अंतर्निहित हैं जो पहली बार में हासिल किए गए थे।
विज्ञान के कई रूप आकार और पैमाने की एक विस्तृत श्रृंखला पर पदार्थ और ऊर्जा की प्रकृति और व्यवहार की जांच करते हैं। ये वैज्ञानिक ग्रहों और सितारों सहित ब्रह्मांड में कहीं और भी पदार्थ का अध्ययन करते हैं, साथ ही साथ हमारे ग्रह की संरचना और संरचना की जांच करते हैं, और भौतिक प्रक्रियाओं ने इसे आकार देने में मदद की है। विज्ञान को उन सभी क्षेत्रों की जांच करने के लिए आकार दिया गया है जो जीवित चीजों से निपटते हैं। व्यक्तिगत जीवों के साथ काम करने के साथ, जीवन वैज्ञानिक जीवित रहने के तरीके की बातचीत की जांच करते हैं। उनका काम जीवन की प्रमुख विशेषताओं में से एक के बारे में सवालों के जवाब देने में मदद करता है, यह तथ्य कि अधिकांश जीवित चीजें एक स्थिर आंतरिक स्थिति बनाए रखती हैं जब उनके आसपास का वातावरण लगातार बदलता रहता है। यह बदलाव तकनीक के कारण हुआ है। प्रौद्योगिकी में, वैज्ञानिक ज्ञान को व्यावहारिक छोर पर रखा जाता है।
प्राकृतिक पर्यावरण की कुछ विशेषताएं हैं, उनमें प्रभुत्व और प्रजातियों की विविधता शामिल है। जब एक या कई प्रजातियां पर्यावरणीय परिस्थितियों को नियंत्रित करती हैं जो प्रजातियों और उस विशिष्ट पर्यावरण से जुड़े पहलुओं को प्रभावित करती हैं।
Nature and science
भौतिकता से जुड़े हुए तथ्य परन्तु प्रकृति का एक और पहलु भी है और वह है पराभौतिक नियम प्रकृति के पराभौतिक नियमों को न तो हम देख सकते हैं, न ही माप सकते हैं और न ही उसको बौद्धिकता के स्तर पर अच्छी तरह से समझ सकते हैं,उसको तो सिर्फ़ अनन्त एकाग्रता की गहराइयों में अनुभूति कर सकते हैं। वहीं विज्ञान प्रकृति के दृश्य पहलुओं पर विचार करता है।